बहादुरपुर प्रभारी चिकित्साधिकारी पवन वर्मा
बारिश के साथ बढ़ी सर्पदंश की घटनाएं, कैसे बरतें सावधानी
बरिस व उमस भरी गर्मी से जहरीले जीव जंतु व्याकुल होकर घरों में घुसने लगे हैं और लोग आये दिन उनका शिकार हो रहे हैं। बरसात के दिनों में ग्रामीण क्षेत्र में सर्पडंस के शिकार लोगों की संख्या काफी बढ़ गई है। बस्ती जिले में जुलाई माह में दर्जनों की संख्या में लोगों की सर्पडंस से मौत हो गई है। सर्पडंस जैसी घटनाओं में लोग अक्सर समय पर पीड़ित को उपचार उपलब्ध कराने की जगह झाडफ़ूंक में समय खराब कर रहे हैं। जब तक पीडि़त को उपचार उपलब्ध कराया जाता है, तब तक देर हो चुकी होती है। कई मामलों में स्थानीय स्तर पर इलाज कराने से सही उपचार में देरी होने से भी सर्पदंश पीड़ितों की जान जा रही है।
बरसात में क्यों बढ़ जाती है सर्पडंस की घटनाए
सांप जमीन के नीचे बिल बनाकर रहता है, लेकिन बारिश का मौसम अकसर सांप के लिए मुसीबत लेकर आती है। खेत खलिहान में बारिश का पानी भर जाने से सांप गांवों के तरफ रुख कर दिए हैं। वह खपरैल, घासफूस के मकान, लकड़ी के ढेर सहित अन्य सुरक्षित स्थानों पर बैठ जाते हैं, इन्हीं जगहों पर सर्प के डसने की घटना अधिक होती है। अधिकतर सांप विषहीन होते हैं, इसलिए अगर सांप काटता हो तो घबराना नहीं चाहिए कई बार सांप काटने के बाद लोग हार्ट अटैक से मर जाते हैं। अकसर बरसात में कीड़े -मकोड़ों का पीछा करता हुआ सांप घर में प्रवेश कर जाता है अगर आप सांप को देखते हैं तो उसे छेड़ने की कोशिश न करें।
सर्पडंस में इन बातों का रखें विशेष ध्यान
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बहादुरपुर प्रभारी चिकित्साधिकारी पवन वर्मा बताते हैं कि सर्पडंस में तत्काल काटे हुए स्थान के ऊपर कपड़े या रस्सी से बांध दें। इसके अलावा बहुत जरूरी होता है कि जिसे जहरीला कीड़ा काटा है, उसके सामने दहशत वाली बातें न करें। उसे यह आश्वासन देते रहे कि खतरे की कोई बात नहीं है, जल्दी ठीक हो जाओगे और झाड़ फूंक के चक्कर में न पड़ते हुए तत्काल उपचार के लिए पीडि़त को स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। देखनें को मिलता है सर्पडंस के अधिकांश मामलों में लोग समय पर उपचार कराने की जगह झाड फ़ूंक कराने में लग जाते हैं। जिससे देरी हो जाती है और मरीज की जान जाती है। अधिकांस प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वस्थ्य केंद्रों पर एंटी स्नैक वेनम इंजेक्शन उपलब्ध रहता है। समय रहते अगर इलाज हो जाये तो सर्पडंस से पीड़ित को बचाया जा सकता है। रिपोर्टर पंकज उपाध्याय
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