एडवोकेट तृषा द्विवेदी "मेघ" उन्नाव
आज नवरात्रि का दूसरा दिन है आज के दिन माँ ब्रम्हचारिणी देवी की पूजा होती है, माता ब्रम्हचारिणी यानी की माता पार्वती जिन्होंने भगवान शंकर को पाने के लिए हजारों वर्ष कड़ी तपस्या की।
मां की इस तपस्या के कारण ही इनका नाम ब्रम्हचारिणी पड़ा।
इनकी साधना सभी के लिए एक प्रेरणा है कि यदि सच्चे मन से कठिन तप किया जाए तो सफलता निश्चित है।
माता ब्रम्हचारिणी की कृपा से आज का मेरा चिंतन उन लोगों के लिए हैं जो अकर्मण्यता के बन्धक हैं।
"जिस कार्य के लिए इच्छा होगी उस कार्य के लिए ही सोच होगी,जब सोच होगी तो चिंता होगी जब चिंता होगी तब प्रेरणा होगी जब प्रेरणा होगी तभी प्रयास करेंगे,
प्रयास सफल भी हो सकते हैं असफल भी।
कितुं अथक प्रयास सफल ही होते हैं, यदि कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास से किये जायें।
अब इच्छा की उत्पति व्यक्ति की जरूरत पर निर्भर करती है। अर्थात स्वार्थ से इच्छा की उतपत्ति।
स्पष्ट है कि मनुष्य जो चाह सकता है वह पा सकता है,
आवश्यक है मन में चाह का होना, इच्छा का होना तभी उद्देश्य प्राप्ति हेतु अग्रसर होंगे।"
जय माता दी🚩
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