🚩🚩🚩🚩🚩
-एडवोकेट तृषा द्विवेदी "मेघ"
उन्नाव,उत्तर प्रदेश
आइये चंद्रघंटा हमारे भवन,
भक्ति के भाव-मठ में ह्रदय से नमन।
(1)तीसरी शक्ति हैं मातु जगदंबिका,
सौम्य सा रूप है आपका अंबिका।
आपके मां दरस को तरसते नयन,
भक्ति के भाव-मठ........
(2)इंद्रियों के विषय माँ सताते हमें,
उलझनों से भरे पथ दिखाते हमें।
हम चलें कौन पथ आप करिये चयन,
भक्ति के भाव-मठ में...../
(3)अब जगत से अलग मातु होने लगी,
आपके स्वप्न में नित्य खोने लगी।
मोह का लोभ का कीजिए माँ दमन,
भक्ति के भाव-मठ में..../
(4)विश्व पीड़ित हुआ इस महामारि से,
हो रहा नाश जग का प्रलयकारि से।
आइये भक्तगण कर रहे हैं हवन,
भक्ति के भाव-मठ में..../
(5)पाप का अंत कर धर्म को रोपिये
प्रेम, ममता, दयामयि तनिक सोचिए-
कीजिए जीव-जग में सनातन अमन,
भक्ति के भाव-मठ में हृदय से नमन।
Comments
Post a Comment