तृषा द्विवेदी एडवोकेट उन्नाव
तृषा द्विवेदी एडवोकेट ने संकटकालीन के समय आप सबसे हाथ जोड़ कर निवेदन करती हूँ कि मन में जो भी जिसके लिए ईर्ष्या द्वेष,घृणा और बदले की भावना हो उसे मिटाकर आपस में दया और प्रेम करिये ,व्यर्थ के आरोप-प्रत्यारोप से बचिए।
व्यर्थ के तर्क-वितर्क से बचिए।
दूर रहिये कम मिलिये कितुं जब भी मिले प्रेम पूर्वक मिले।
फोन से सम्पर्क करते रहें,एक दूसरे को तनाव और चिंता से बाहर लाने का काम करें।
क्या पता कौन सा पल अफसोस की घड़ी बन जाये।
कोरोना यही तो समझा रहा है कि
हम सब ईश्वर की संतान हैं,इसलिए हम सब एक हैं इस धरा पर मेहमान बनकर आये हैं यहां कोई मालिक नही है,जो कोरोना या अन्य प्रकार से दुनिया से अलविदा हो रहे हैं सोचो उन्हें क्या वापस ला सकते हैं,अफसोस से भी क्या मिलेगा।
मिटा दीजिए अंहकार छोटे बड़े का,पढ़े बिना पढ़े का।
स्तर की कोई बात न करो सिर्फ मानवता का नाता और मेहमानी का स्तर होता है।
सबका मालिक भगवान।
इसलिए मानसिकता बदल कर आइये एक साथ जियें प्रेम पूर्वक रहें ताकि दिल पर पछतावा का भार न बन पाए।
मेरी बातों पर सब लोग विचार करना और लागू भी करना।
जितने लोग लागू करेंगे वह सहमति दर्ज कराएं और इस संदेश को आगे भी भेजकर ,सबको सहमत होने के लिए निवेदन करें।
सादर आभार🙏
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