मनीष मिश्रा- लखनऊ
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रतिवर्ष 31 मई को तंबाकू एवं धूम्रपान के कारण जन स्वास्थ्य पर उत्पन्न खतरों के प्रति जनता को जागरूक कर उसकी चुनौतियों को कम करने के लिए विश्व तंबाकू दिवस का आयोजन पूरी दुनिया में किया जाता है। इस गंभीर वैश्विक जन स्वास्थ्य समस्या का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि पूरी दुनिया में लगभग एक करोड़ से अधिक लोग तंबाकू एवं धूम्रपान के प्रयोग के कारण उत्त्पन्न बीमारियों के असमय मौत का शिकार हो जाते हैं और भारत में यह आंकड़ा भी चिंता का विषय है क्योंकि लगभग 10-12 लाख के आसपास औऱ प्रतिदिन लगभग 350 लोग मौत का शिकार हो जाते हैं तंबाकू एवं धूम्रपान का प्रयोग अनेक प्रकार के श्वसन तंत्र के रोगों जैसे सी पी ओ डी, कैंसर, अस्थमा, लंग फाइब्रोसिस, ब्रोंकाइटिस के लिए प्रमुख कारक है और श्वसन रोगों की गंभीरता को बढ़ाता है। तंबाकू एवं धूम्रपान ग़ैरसंचारी रोगों जैसे हृदय रोगों, 25 से अधिक प्रकार के कैंसर, मधुमेह आदि के लिए प्रमुख कारक है जो इन बीमारियों से ग्रसित लोगों को तंबाकू एवं धूम्रपान का प्रयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी कमजोर करता है
गौरांग क्लीनिक एवं होम्योपैथिक अनुसंधान केंद्र के मुख्य चिकित्सक गिरीश गुप्ता ने बताया की होम्योपैथिक में ऐसी बहुत सारी दवाइयां है जिससे तंबाकू की आदत को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है यह बुरी आदत तंबाकू में पाए जाने वाले निकोटीन के कारण होती है होम्योपैथिक मेडिसिन में ऐसी कई दवाइयां है जो तंबाकू की आदत को कम करती हैं इसमें मरीज को देखकर लक्षण, उम्र, प्रकृति के हिसाब से दवाइयों का चयन किया जाता है तथा उसकी मानसिक स्थिति का भी आकलन करना कभी-कभी आवश्यक होता है।
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