प्रमिला पाण्डेय कानपुर
अचानक रात को दो बजे? मोवाइल वेल ? नींद से जगकर हलो बोला तो रोने की आवाजें आ रही थी। मैंने हिम्मत बांधकर पूछा! अरे इतनी रात गये शर्मा जी क्या हुआ ?शर्मा जी ने दयनीय स्वर में कहा- पत्नी की हालत बहुत खराब हो रही है ।आक्सीजन लेवल लगातार घट रहा है। कहीं से आक्सीजन सिलीन्डर की व्यवस्था करवा दो। मैं अवाक हो गया फिर भी ढांढस बधातें हुए कहा देखता हू। कई मिलने वालो को फोन मिलाया लेकिन सफलता नही मिली।
सुबह दस बजे शर्मा जी की पत्नी का देहान्त हो जाने का समाचार मिला बेहद दुख हुआ परन्तु असहाय होकर शोक व्यक्त किया।
अफसोस तो ये भी रहा कोई अन्तोष्टि में जाने वाला नही था। मन ग्लानि से भर गया। माथा पकड़कर बैठना पड़ा।।
प्राचीन समय से ही हमारा देश महामारी और त्रासदी से जूझता और विजय प्राप्त करता चला आ रहा है। चेचक, प्लेग,मलेरिया हैजा आदि आदि वीमारियों ने जनता जनार्दन को काफी क्षति पहुंचाई है। लोग जान बचाने के लिए एक दूसरे का स्पर्श न करते। बीमार को कई दिनों तक अलग कमरे में रखा जाता था। बच्चों का विद्यालय और घर -घर जाकर टीका करण किया गया। जिससे सफलता का ग्राफ बढ़ता नजर आया। जहां एक ओर विज्ञान तेजी से चांद पर घर बनाने की बात करता है ,वहीं कोरोना जैसी महामारी ने पैर पसार लिए हैं। एक वर्ष से अधिक समय होने पर भी हम कोई ठोस नतीजे पर नही पहुंचे। आक्सीजन सिलीन्डर छुपाकर काला बाजारी करना , हास्पिटल में महिलाओं के साथ अभद्र सलूक ,दवाइयों की काला बाजारी, अपने अपनों को लूट रहे हैं। टीका करण प्रारम्भ होते ही लोगों को घंटों लाइन में लगने पर संक्रमण टीका करण के पश्चात अपनों को खोना हृदय विदारक रहा। त्रासदी का ऐसा भयानक स्वरुप शायद पहली बार ही देखा होगा । जब लोग धन के आभाव में पार्थिव शरीरों को इधर उधर फेंक कर इतिश्री कर देते हैं । मृतक परिवार के दुखी जनों से पता चला अंतिम यात्रा का सामान श्मशान पर चिता के लिए लकड़ी चार गुने दाम पर मिलती हैं। आत्मा चीत्कार करती है । हमारी सरकार को ऐसे में सख्त निर्देश लागू करने चाहिए। बात हम नुकसान की करें ,तो सगे सम्बन्धियों के अलावा साहित्य जगत की भारी क्षति हुई है। वहीं वन्दनीय हैं वो लोग जो डाक्टर की भूमिका में रात दिन सेवा करके एक वीर सैनिक की भांति अपने प्राण निछावर कर गये मुम्बई के डा0 नागेन्द्र मिश्र जी एव उनके पुत्र ने कोरोना बीमारों की सेवा करते - करते अपने प्राणों की आहुति दे दी । कई घरों के चिराग सदा के लिए बुझ गये।
ऐसे में कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए हमें ईमानदारी से
एक दूसरे की मद्त करनी चाहिए लूट घसोट वेहद निन्दनीय हैं। सरकारी नियमों का पालन करें, घबरायें नही। समय पर दवा लेते रहे। टीकाकरण, मास्क अवश्य प्रयोग में लायें। हाथ धोते रहें ।भीड़भाड़ में अनावश्यक जाने से बचें।।
कोरोना हारेगा हिन्दुस्तान जीतेगा।
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