2212 , 2212, 2212, 2212
नवरात्रि की षष्ठी दिवस शुभ, आ गईं कात्यायिनी ।
स्वागत करो सब मातु का मिल, मातु हैं वरदायिनी ।।
बनके सुता तुम कात्य ऋषि की, धन्य वसुधा को किया ।
हो कर प्रकट माता भवानी, पीर को सब हर लिया ।।
स्वीकार कर लो माँ नमन दर पे खड़ी ये याचिनी ---
स्वागत करो सब मातु का----
जब महिष के आघात से, आकुल सभी प्राणी हुए ।
तब देव मिल कर मातु से, कर जोड़ के विनती किए ।।
तब अंबिके चंडी बनी, अरु दुष्ट की माँ नाशिनी---
स्वागत करो सब मातु का----
स्वीकार लो माँ आप मुझको, हूँ शरण मैं आपकी ।
माँ मेट दो अवसाद मेरे, मैं हुई हूँ पातकी ।।
कर जोड़ कर विनती करूँ मैं, हे जगत की पालिनी----
स्वागत करो सब मातु का ---
ममतामयी करुणामयी ,सब भक्त तुमको पूजते ।
तेजस्विनी आभामयी, गुणगान तेरे गूँजते ।।
है मातु की महिमा बड़ी, माँ शक्तिशाली नंदिनी ---
स्वागत करो सब मातु का---
जो आदिरूपा मातु का नित, प्रेम से सुमिरन करे ।
कात्यायिनी माता सदा ही, भक्त की झोली भरे ।।
अनुपम अलौकिक रूप माँ का मातु हैं शुभ वंदिनी----
स्वागत करो सब मातु का मिल
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