सत्यव्रत शुक्ल, लखनऊ
लुटेरों का शासन सदा ना रहेगा
रहेगा तो तुलसी का दोहा रहेगा
अभी तो मुहब्बत नई है तुम्हारी
तुझे रात भर वो जगाता रहेगा
जहाँ में कहीं भी किसी से मिलूँ मैं
रहूँगा तुम्हारा ये वादा रहेगा
अभी तो मिला है मुहब्बत में धोखा
ये लड़का लगातार रोता रहेगा
भले हो जमाने की खुशियाँ हमारी
तुम्हारा बिछड़ना सताता रहेगा
ये दिन और रातें नहीं कटती मुझसे
तुम्हारे बिना मैं अकेला रहेगा
तिरे संग बीता जो यादों का जंगल
वो जंगल मुझे अब डराता रहेगा
यही बात पुरखों ने हमको बताई
रहे साथ हम सब तो जलवा रहेगा
तुम्हारे बिना जितनी रातें गुजारी
वो रातें ये दिल भूल जाता रहेगा
इसी छाँव में अब तिरी आस लेकर
मुझे छोड़ के कौन बैठा रहेगा
भले जान दे दूँ तुम्हारे लिए मैं
सगों को तिरे वो भी चुभता रहेगा
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