✍️एडवोकेट तृषा त्रिवेदी "मेघ"
रायबरेली, उत्तर प्रदेश।
(१) संकट को मिटाने वाली,बिगड़ी को बनाने वाली,
जाने से पहले सबकी तुम लाज बचाने वाली।
करती किरिपा रहना सब पर उद्धार के लिए,
तरसें................................।।
( २ )तुम मात-पिता हो सबकी, सबका तुम ही हो सहारा,
तुम बनके खिवइया सबको भव सागर पार उतारा।
कोई शब्द नहीं है मइया तेरे आभार के लिए,
तरसें................................।।
(३)दरबार से तेरे माता कोई खाली नहीं जाता,
पूरी होती हैं सबकी ,जो लके मुरादे आता।
आयी मां तृषा चौखट पे सुखी परिवार के लिए,
तरसें भक्तों की अंखियां तेरे दीदार के लिए।।
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