डॉ रीटा त्रिपाठी- लखनऊ
योग एक जीवन जीने की कला है!!
खुद पर किया गया अनुशासन है!योग एक ऐसी संस्था है
जिससे सभी प्रकार के तकलीफो का निवारण हो सकता है,!आज मनुष्य अशांत दुखी है एवं शारीरिक मानसिक विकारो से दग्ध है कहा भी गया है "अशांतस्य कुतः सुखम,, अशांत व्यक्ति को सुख कहा से मिलेगा
शांति के लिए भी विभिन्न दुखो से मुक्ति पाने हेतु, योग मे प्राणायाम ध्यान आदि प्रावधान हमारे ऋषियों ने किया है!
आज जिस तरह से जीवन शैली मे रोग बढ़ते जा रहे,
योग की आवश्यकता उतनी ही बढ़ती जा रही!
विशेषकर जिनकी जीवन शैली विज्ञान प्रधान, भोगवादी समाज मे गड़बढ़ हो गई है, योग एक ऐसा माध्यम है जो
कम समय मे खूब लाभ देने मे सहायक है योग को अपनाकर तनाव मुक्त शांति से भरा जीवन जिया जा सकता है!
योग करने से हमारे शरीर का ठीक तरह से विकास होता है तथा हमारा जीवन सुखमय रहता है आज के सभ्यता के दौर मे मानव समुदाय शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ की दृस्टि से जर्जऱ, दिनों दिन दुर्बल एवं मानसिक रूप से
असंतुष्ट होता चला जा रहा!
इतना ही नहीं उसका दिन का चैन एवं रात की नींद भी प्रभावित होने से तनाव जन्य रोगों एवं मनोविकारो मे बढ़ी तेजी से अभिवृत्ति हुई है
जो गांवो कस्बे मे निवास करता है शहरो की अपेक्षाकृत जल्दी बुढ़ा होता चला जा रहा
गांव मे आज भी 50%मौते दूषित जल, स्वास्थ्य के प्रति अज्ञानता समय से दवा नहीं मिलने के कारण होती है!
आंकडे बताते है की एलोपैथिक चिकित्साल्यो की संख्या होने पर भी रोगियों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रहीहै!
योग को एक चिकित्सा पद्धति के रूप मे भी अपनाया जा सकता है!
और यह एक कारगर उपाय हो सकता है!रोगों से दूर रहने मे योग ही एक कारगर उपाय हो सकता है!
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