डॉ रीटा त्रिपाठी--लखनऊ मधुमेह शरीर. के रक्त मे बढ़ी हुई. शुगर के मात्रा के रूप मे जानी वाली बीमारी है! इसमें पेंक्रियाज नामक ग्रंथि के कम काम करने या न काम करने के कारण शरीर मे शुगर के मात्रा मे वृद्धि हो जाती है!जो कई तरह से यूरिन के माध्यम से और घाव के ना भरने के माध्यम से पहचान मे आती है!डायबिटीज मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है!जुविनाइल ---जो बच्चों तथा कम उम्र के लोगो मे पायी जाती है तथा मेच्योरिटी आनसेट डायबिटीज --जो प्रोढ़ावस्था मे होती है!जुविनाइल की मुख्य वजह तो अनुवंशिकता है!परन्तु इसकी कई वजहें भी है जबकिमेच्योरिटी आनसेट मुख्य रूप से एक छय प्रकिया है, जो उम्र की अधिकता तनाव, व्यस्त जीवनशैली व मिठाइयों के अधिक सेवन की वजह से होती है! योग चिकित्सा सिद्धांत -यौगिक क्रियाओं का उद्देश्य यहाँ निष्क्रिय हो रहे पेंक्रियाज को पुनः ऊर्जा प्रदान करना तथा शरीर से अधिक शर्करा की मात्रा को निष्कासित करना है!ज्यादातर रोगी मोटापे से भी ग्रस्त होते है इसलिए अभ्यास की मात्रा मे वृद्धि करके इनपर नियंत्रण पाया जा सकता है!
योगाभ्यास :
आसन :सन्धि संचालन, उदर संचालन एवं शक्ति सवर्धन के अभ्यास, तड़आसान, कटि चक्रआसान, सूर्य नमस्कार (पांच से सात चक्र )शवासान (10मिनट )
शशकासन, भुजंगासन, हलासान ये सब आसन अत्यंत महत्वपूर्ण है इसे जल्दबाजी मे नहीं आराम से करना. चाहिए!
प्राणायाम : भस्त्रिका, सूर्य भेदन, नाड़ी शोधन, शीतली, भ्रामरी!
विशेष :योगनिद्रा
सावधानियाँ :यदि उच्च रक्त चाप या ह्रदय रोगी है तो पहले उसे नियंत्रण मे लाने वाले अभ्यास करें!
Comments
Post a Comment