-एडवोकेट तृषा त्रिवेदी "मेघ"
रायबरेली - उत्तर प्रदेश
नीर अँखियाँ भरी,कैसी है शुभ घड़ी,माँ विदाई।
रीत दुनियाँ ने कैसी बनाई,बेटी रोये ये देके दुहाई।।
(1) लाख दुख माँ सहा,दर्द को न कहा,सब संभाला,
नाज से लाड से,कितने अरमान से,मुझको पाला,
माँ-पिता के फरज,तुम अकेले ही सब,माँ निभाई।
रीत दुनियाँ ने ----------------------------------------।।
(2) तुमसा कोई न माँ,माँ सी ममता कहाँ,झूठी दुनियाँ,
तेरा आँचल वो माँ,अपना आँगन वो माँ और गलियाँ,
छोड़ घर मैं चली,दुसरे देश को,बेटी होती ही हैं माँ पराई।
रीत दुनियाँ ने ------------------------------------------।।
(3) तेरा ही रूप हूँ, दिल का टुकड़ा हूँ मैं, माँ बुलाले,
दे दे बचपन वो फिर,अपने आँचल से मुझको लगाले,
रखती सुख से तुम्हे, हरती पीड़ा तेरी, कर न पाई।
रीत दुनियाँ --------------------------------------।।
नीर अँखियाँ भरी,कैसी है शुभ घड़ी,माँ विदाई।
रीत दुनियाँ ने कैसी बनाई,बेटी रोये ये देके दुहाई।।
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