डॉ रीटा त्रिपाठी--लखनऊ
1- सूर्य स्नान के लिए प्रातः काल का समय सबसे अच्छा है! इससे दूसरे दर्जे का समय संध्या काल है!इसके लिए हल्की किरणे ही बेहतर है ज्यादा तेज धूप मे नही बैठना चाहिए!2-सूर्य स्नान शुरू मे आधे घंटे ही करने चाहिए, फिर धीरे -धीरे इसका समय डेढ़ घंटे तक भी किया जा सकता है!3-सूर्य स्नान करते समय सिर को रुमाल से ढक लेना चाहिए!4-जितने देर सूर्य स्नान हो उतने समय के चार भाग करके -जैसे पेट, पीठ दांया करवट बांया करवट इन चारो भागों को सूर्य के सामने रखना चाहिए!6-धूप सेवन करने के बाद ताजे पानी मे भिगोकर निचोड़े हुए मोटे तौलिये से रगड़ना चाहिए जिससे गर्मी के कारण रोम कूपो द्वारा भीतर से निकली हुई खराबी शरीर से ही चिपकी ना रह जाये!7-धूप सेवन खाली पेट करना चाहिए, कम से कम 2घंटे पहले और आधे घंटे बाद तक कुछ नहीं खाना चाहिए!8-सूर्य स्नान का स्थान ऐसा होना चाहिए जहाँ जोर से हवा के झोंके न आते हो!धूप सेवन के बाद शरीर हल्का और फुर्तीला हो जाता है परन्तु यदि ऐसा न हो तो और शरीर भारी मालूम पड़े तो सूर्य स्नान का समय कम कर देना चाहिए!
नियमित रूप से सूर्य स्नान करने से रोग के बेक्टिरिया ख़त्म होते है!
यदि सूर्य स्नान नियमित रूप से किया जाये तो व्यक्ति को विटामिन डी की दवा नहीं लेनी पड़ेगी क्योंकि हड्डियों के लिए सूर्य की किरणे अधिक लाभदायक है!
हमारी प्रकृति ने हमें अनमोल सौगात दी है जिसका कोई मोल नहीं क्यों नहीं हम इसका लाभ उठाकर अपने जीवन को स्वस्थ एवं आरोग्य बनाये!
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