नीरज कुमार पाण्डेय जिला संवादाता बस्ती
बस्ती।पारंपरिक शिल्प कला को रोजगार से जोड़ने का अनूठा हुनर सीख रहीं हैं, जिला कारागार की बंदिनियां और जिलाधिकारी महोदया के निर्देश से उन्हें हुनरमंद बना रहे हैं जिले के बेसिक शिक्षा विभाग के कला एवं शिल्प शिक्षक आलोक शुक्ल।
क्रोशिया एक प्राचीन एवं पारंपरिक हस्तशिल्प विधा है जो लगभग लुप्तप्राय हो चुकी है खासकर आधुनिक समाज में। इसे फिरसे चलन में लाने की कोशिश में रक्षाबंधन के पर्व के मद्देनजर 40 महिला कैदियों को क्रोशिए और कच्चे सूत से राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा। इन राखियों की विशेषता यह है कि इन्हें बनाने में समय एवं मेहनत तो लगती है परन्तु लागत बहुत कम लगती है साथ ही साथ यह टिकाऊ व पर्यावरण के अनुकूल भी होती हैं।
आलोक बताते हैं कि इससे पूर्व कोरोना काल में वह स्वयं सहायता समूह की सखियों को इस पारंपरिक कला का प्रशिक्षण दे चुके हैं और प्रशिक्षण के दौरान बनी हुई राखियों को लोगों ने हाथों हाथ लिया था। आलोक इस अवसर का श्रेय तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी सरनीत कौर ब्रोका को देते हैं।
कारागार अधीक्षक विवेकशील त्रिपाठी ने बताया कि इससे पूर्व भी दीपावली के त्यौहार में महिला बंदियों को अखबार की लुग्दी से मूर्ति निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया था, वह प्रशिक्षण लेने वाली ज्यादातर बंदियों की रिहाई हो चुकी है। 10 पूर्व बंदी हैं, बाकी नई हैं। नई बंदियों को नए तरीके से रोजगारपरक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान तैयार राखियों का स्टाॅल भी लगवाया जायेगा।
उप कारापाल बाबूराम यादव ने बताया कि हमारा प्रयास रहता है कैदी अपने समय का सदुपयोग करें और कुछ न कुछ ऐसा सीखते रहें जिससे यहां से निकलकर वो एक नई शुरुआत कर सकें।
Comments
Post a Comment